केडीए: जोन 02 में क्या सब पाक साफ है, आखिर क्यों नही हुई कोई बिल्डिंग सील


युवा गौरव। संवाददाता


कानपुरकेडीए के अजब खेल के गजब परिणाम से कोई आगंतुक या केडीए के क्षेत्र मे निवासी अछूता नही है। जिस प्रकार सपा सरकार में कार्य हो रहे थे, ठीक उसी प्रकार के कारनामे भाजपा सरकार में भी देखने को मिल रहे है। यहां जिसकी पकड़ केडीए उपाध्यक्ष से जितनी अच्छी है, वही उतनी अच्छी कमाई कर पा रहा है। बाकी तो आदतन कमाई करते है, और शिकायत मिलने पर बलि का बकरा बन जाते है।


 


दो सस्पेंड, दो पर कार्यवाही के लिए संस्तुति


अभी हाल ही में केडीए के दो अवर अभियंताओं पर कार्यवाही के लिए संस्तुति की गई, जबकि दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया। आखिर जिन कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया, वे किसके इशारे पर काम करते थे। जिन अवर अभियंताओं पर कार्यवाही के लिए संस्तुति की गई, वे किसके अनुसार कार्य और काली कमाई करने से नही चूक रहे थे। आखिर इन सब को लूट करने की ट्रेनिंग कौन देता है, और महीने 01 तारीख से 05 तारीख के बीच लाखों रुपए का चढ़ावा अवर अभियंताओं द्वारा किस पर चढ़ाया जाता है।


 


जोन 02 सबसे ईमानदार



पिछले दिनों से केडीए अवैध रूप से निर्मित भवनों पर कार्यवाही स्वरूप भवन सील करने में लगी है। और अब तक त्वरित कार्यवाही में लगभग 24 भवन सील भी किये जा चुके है। केडीए मे जोन 01, 02, 03 व 04 है, 


जोन 01 में 09, 
जोन 02 में 00, 
जोन 03 में 04 
जोन 04 में 11 


भवन सील किये गए हैं। इस प्रकार अब तक कुल 24 भवन सील किये गए। और इन्ही में हुई कार्यवाही के अंतर्गत दो अवर अभियंता, और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी बलि चढ़ा दिए गए। और यह कार्यवाही केडीए उपाध्यक्ष के ओएसडी आलोक वर्मा के द्वारा की गई। वही सबसे हैरान करने वाली बात यह भी है कि जिस जोन के रखवाले खुद आलोक वर्मा है,उस जोन में कोई भी अवैध निर्माण नही हो रहा है। कानपुर नगर में सबसे हास्यास्पद विषय यही माना जा रहा है, या यह भी कहा जा सकता है कि जिन्हें कार्यवाही करनी है, उन्होंने खुद अपने क्षेत्र में खुली लूट करने की आजादी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को दे रखी है। यह बात ऐसे ही नही कही जा रही है, इस बात के पुख्ता सबूत है, क्षेत्र में अवैध निर्माण की भरमार है, लेकिन कोई शिकायत सुनने वाला नही है, क्योंकि जब रखवाला ही विषयांतर करने लगे, तो फिर किसी बात की शिकायत करने का कोई औचित्य नही बनता है। मिली जानकारी अनुसार एक ओर कर्मचारियों पर वसूली के दबाव हेतु कार्यवाही कर रहे है, वहीं दूसरी ओर अपने चहेतों पर लूट की छूट दे रहे है।


 


मंत्री का आदेश रद्दी की टोकरी में


 


वही एक ओर यह भी देखने को मिला है कि राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना द्वारा एक अवैध रूप से निर्मित भवन को सील करने के लिए पत्र जारी किया गया था, लेकिन कमाई के भूखे इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने मंत्री महाना के पत्र को भी संज्ञान नही लिया, और कार्यवाही शून्य रही। इस मामले में मिली जानकारी के अनुसार भवन स्वामी ने लगभग 01 लाख रुपये सम्बन्धित लिपिक को दिए थे, जिसके कारण मंत्री महाना का आदेश भी शून्य में लिया गया।