चन्द दिनों की और मेहमान बची है दशहरी,अब चखिए चौसा और सफेदा सहित अन्य आमों का स्वाद
 

 

युवा गौरव। संदीप जायसवाल

 

लखनऊ। आमों का राजा दशहरी बस चन्द दिनों का मेहमान रह गया है।अभी कुछ दिन आप दशहरी आम का स्वाद और चख सकेंगे।इस बीच लखनऊवा (सफेदा )व् चौसा सहित आदि प्रजाति के आमों ने बाजार में अपनी एंट्री कर ली है।ये आम अभी लगभग एक माह और बाजार में मिलेंगे।इसके बाद आम का सीजन खत्म होने की उम्मीद जताई जा रही है।आम की मुख्य प्रजाति दशहरी अगेती किस्म है।जो बागों से 90 प्रतिशत टूटकर स्थानीय मण्डियों के साथ ही प्रदेश व् देश की विभिन्न मण्डियों में बिक्री के लिये जा चुकी है।विशेषज्ञों के अनुसार अंतिम पड़ाव पर चल रहा दशहरी का गूदा अंदर से ढल चुका है।ऊपर से देखने में अभी इसका छिलका मजबूत दिखाई दे रहा है।मगर इसके स्वाद मे काफी अंतर आने लगा है।ऐसे में अब ये एक सफ्ताह और बाजार में दिखेगा।इस बीच पछेती आम की चर्चित प्रजाति चौसा व् लखनौवा (सफेदा) की आमद मण्डियों व् बाजारों में होने लगी है।

 


 

रसीले लखनौवा के भण्डारण की क्षमता कम होने के कारण इसे पकने के बाद तीन दिनों तक ही प्रयोग में लाया जा सकता है।वहीं,चौसा अपनी लाजवाब मिठास के कारण लोकप्रिय है।डाल के पके इस आम में अधिक मिठास होने के चलते इसमे कीड़े पड़ने की सम्भानाएं ज्यादा होती है।इसलिए आम उत्पादक इसे अधिकांश मात्रा में कच्चा ही तोड़ते हैं।इसकी भण्डारड़ क्षमता एक सप्ताह तक मानी जाती है।इसके आलावा कम मात्रा में उत्पादित होने वाली आम की प्रमुख प्रजातियों में आम्रपाली, मलिका, तैम्बुरिया, टामी एटकिन्स,स्वर्ण जहांगीर,वनराज,स्वर्णरेखा,अम्बिका,गुलाबखास,लंगड़ा,हुस्नेरा, निसार पसंद, हिमसागर, माधवराव पसंद, श्रदाभोग,राटौल,गौरजीत,लनायत पसंद,ज़रदफ़, सहित आदि का भी चन्द दिनों में पकना शुरू हो जायेगा।जो आम के मौसम के अंत तक बाजारों में पहुंचेंगे।भारतीय कृषक अनुसंधान केंद्र-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा के वैज्ञानिकों ने बागवानों को सलाह दी है कि आगामी समय में होने वाली बरसात को ध्यान में रखते हुए पेड़ों से आम की तुड़ाई समय से कर लें।क्योंकि बरसात होने के समय बड़े पेड़ों से आम की तुड़ाई व् प्रबन्ध करना मुश्किल होता है।इससे बागों में ही अधिकतर आम खराब होने लगते हैं जिससे पेड़ों में लगा आम काला पड़ने लगता है।