संविधान की धारा 341(3) से धार्मिक प्रतिबंध हटाने की मांग


युवा गौरव। संवाददाता


कानपुर। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के जिला अध्यक्ष मोहम्मद अली अहमद नेतृत्व में जिलाधिकारी के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दास मोदी को ज्ञापन सौंपा । आजादी का पहला उद्देश्य देश के सभी वर्गों को सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षिक विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना था। धर्म जात वर्ग नस्ल लिंग भाषा के भेद भाव के बिना सभी वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए आरक्षण की सुविधा दी गई थी। परंतु स्वतंत्र भारत की पहली कांग्रेस सरकार जिसका नेतृत्व जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे समाज के विभिन्न दलित अति पिछड़े वर्गों के साथ भेदभाव करते हुए आरक्षण से संबंधित धारा 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबंध लगा दिया। समाज की हर धर्म से संबंध रखने वाले दलितों को 1936 से मिल रहे आरक्षण को छीन लिया। नेहरू की तत्कालीन सरकार ने संविधान का उल्लंघन करते हुए धर्म के आधार पर आरक्षण को प्रतिबंध कर दिया सरकार ने 1956 में सिखों को और 1990 में बौद्ध धर्म मानने वालों को इस सूची में जोड़ दिया परंतु मुस्लिम और ईसाई वर्क के दलित अति पिछड़ों को आज भी इस सूची से बाहर रखा गया है मूल अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है इस भेदभाव के कारण मेहतर मोची खाटी धोबी , दफाली, हलालपुर और हेला आदि ऐसी बहुत सारी मुस्लिम व ईसाई जातियां हैं। हिंदू दलित जातियां सरकारी नौकरियां राजनीतिक शिक्षा व रोजगार आदि में आरक्षण पार्टी जबकि वहीं पेशा करने वाले मुसलमान व ईसाई जातियों को उससे वंचित रखा गया है। राष्ट्रीय उलमा काउंसिल यह मांग करती है कि धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटा कर दलित मुसलमानों व ईसाइयों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को बहाल करके सबका साथ सबका विकास की अपने वादे को पूरा करे।ज्ञापन के दौरान जिला अध्यक्ष हाजी अली इमरान, फखरुल इस्लाम, शहाबुद्दीन इमरान अंसारी , वारिस अयाज फरीद इस्माइल लड्डन रेहान मोहम्मद इमरान आदि लोग मौजूद रहे।