यूपी में आवारा जानवरों की फौज बरबाद कर रही फसलें, किसान परेशान



 


 

किसान दिन में खेतों में काम करते हैं, रात में फसलों की रखवाली, झुंडों में घूमने वाले मवेशी खेतों को  कर रहे चट, यूपी के सभी इलाकों में बड़ी समस्या बन गए हैं आवारा जानवर

 

 

युवा गौरव। विमलेश तिवारी

 

 

लखनऊ।यूपी में आवारा मवेशी किसानों को लिए सिरदर्द बन गए हैं। गाय, बैल आदि पशु फसलों को चर रहे हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही अवैध बूचड़खाने  बंद कराने के ऐलान के साथ ही गौवंश के वध पर सख्त कानून जारी किया।चूंकि योगी जी पहले से ही कट्टर हिन्दूवादी और फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं, लिहाजा नए सीएम के फरमान पर बिना दिमाग लगाए सरकारी मशीनरी ने गाय-बछड़ों के ट्रकों के पहिये जाम कर दिए।गौरक्षकों ने भी खूब तांडव मचाया।इसका खामियाजा अब सामने आ रहा है।लोगों के छुट्टा पशु अब हरे भरे खेतों में तांडव कर रहे हैं।इससे किसानों की फसल तबाह हो रही हैं। हालत ये है कि इस फरमान के एक साल बाद जितने रुपये किसानों के ऋण माफ़ किए गए थे उससे कहीं ज़्यादा की फसल यह छुट्टा पशु चर गए थे। किसानों के खेत में छुट्टा जानवर फसल तैयार होने से पहले ही चर गए। वे एक खेत में से जानवरों को भगाते हैं तो जानवरों का दूसरा दल फसल पर हमला कर देता है।इस लुका-छिपी के खेल में जीत जानवरों की हो रही है।किसानों ने कहा कि "कोई भी जायदाद (फसल)पैदा होने नहीं दे रहे हैं।धान चर गए और एक भी दाना घर नहीं जा पायेगा''

 

सबसे बड़ी मुसीबत मुस्लिम खेतिहरों की है।वे अपने खेत में घुसे बछड़े और सांड को मार भी नहीं सकते। क्योंकि अगर कहीं गौवंश को गंभीर चोट लग गई तो मामला कुछ और ही तूल पकड़ सकता है।किसान इश्तियाक ने बताया कि "हम डंडा भी मारें तो उसमें भी एतराज़ पलेगा।इसलिए हम क्या जरूरत है, बोलने का जाए भाई अपना वो लोग, हांक दे, मार दे, कुछ नहीं। इसलिए डरते हैं कि कहीं डंडा चलाये घाव लग गया, चोट लगी तो झगड़ा करेंगे।लोग तो भाई हर विचार से न काम करि''  गौरतलब है कि 2012 में गोवंश की गणना आखिरी बार हुई तो उत्तर प्रदेश में कुल एक करोड़ 95 लाख 57 हजार 67 गोवंश थे।इनमें एक करोड़ 46 लाख गाय और 49 लाख सांड और बछड़े थे। ये गणना लगभग सात साल पुरानी है।पहले खेती में बैलों की मांग थी लेकिन अब ना के बराबर है।और गौवंश वध पर सख्ती के बाद इनकी तादाद कितनी बढ़ी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।खेत से लेकर सड़कों तक हर ओर छुट्टा गौवंश दिख रहा है। दिनभर किसान खेत में काम कर रहा तो रात भर जगकर इन मवेशियों से खेत की रखवाली।राम राज सिंह ने कहा "ये लोग जो सांड छोड़ रखे हैं, इससे दिक्कत हो रही है। हम लोग रात बारह-बारह बजे तक जग कर खड़े रहते हैं, सांड की देखरेख में, कहीं आकर खा नहीं जाएं। पूरी फसल बर्बाद कर दिया।उधर एक बीघा का खेत है खा गए''

 

योगी सरकार ने चार अप्रैल 2017 को पहली कैबिनेट मीटिंग में 86 लाख किसानों के 36 हजार 359 करोड़ रुपये के कर्ज की माफी का ऐलान किया था।यूपी में करीब 2.30 करोड़ किसान हैं।इनमें 86 लाख किसानों की कर्जमाफी हुई थी।अभी ये कर्जमाफी के हनीमून पीरियड से बाहर भी नहीं निकले थे कि उनकी फसलों पर बछड़ों और सांड के हमले शुरू हो गए।हालात यह हो गई कि फसल बचाने के लिए किसान रात में खेतों की चौकीदारी करते रहते है और योगी सरकार के फैसले को कोसते रहते है। किसान हरिनाम सिंह का कहना है कि "ये जो बछवा जो छूटा है तो जितना हम लोग का क़र्ज़ माफ़ हुआ उससे अधिक हम लोगों का नुकसान है। तो इस क़र्ज़ माफ़ी से क्या फायदा है। हम लोगों का न चना होता है न मटर होता है न आलू होता है और न हि गेंहू धान'' गौवध बंदी की ये सख्ती  कुछ महीनों तक तो हिन्दुत्व के नाम पर चली और तारीफ भी हुई, लेकिन छुट्टा गोवंश की फौज जब बढ़ने लगी तो इसका सीधा असर किसानों पर पडा ये समस्या किसी एक इलाके की नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश के हर ग्रामीण इलाके में एक ही जैसी है। हमेशा से भाजपा के लिए गौवध एक ऐसा मुद्दा है जो हिन्दुत्व को कम आंच पर भी ज्यादा उबाल देता है।लेकिन इस बार की ज़्यादा सख्ती सरकार के गले की फांस नजर आ रही है।हालांकि योगी सरकार ने हर जिले में गौशालायें खुलवाई है लेकिन गौशालाओं में पशु ही नहीं है जो है भी वह भूंख प्यास से उनकी मौत हो रही है।