गांवो में अवैध कब्जेदारी बनी ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब


गांवो में खाद के गड्ढे भी हुए गुम महीनों से सुस्त पड़ा है एण्टी भू माफिया अभियान


युवा गौरव। सूरज अवस्थी


मोहनलालगंज, लखनऊ। तहसील मोहनलालगंज के अंतर्गत लगने वाली दर्जनो ग्राम पंचायतों व उनके मजरों में ग्राम समाज की भूमि से लेकर खाद के गड्ढों सहित चक मार्गो पर अवैध कब्जेदारी ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बन चुकी है। राजस्व अभिलेखों में दर्ज इन खाली पड़ी जमीनों में प्लाटिंग के साथ खेती बाड़ी भी की जा रही है। ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिसेंडी, भरोसवा, नन्दौली, गढ़ा, गोविन्दपुर, डाढ़ा सिकंदरपुर, गौतमखेड़ा, कनकहा, फत्तेखेड़ा, मऊ, जबरौली, समेसी, दयालपुर, गौरा सहित अन्य गांवो में अवैध कब्जेदारी चरम पर है। और ग्रामीण तहसील जनता तहसील दिवसों में पहुच सक्षम अधिकारियों को लिखित व मौखिक शिकायत भी करती है। लेकिन कार्यवाही के नाम पर महज कोरा आस्वाशन ही ग्रामीणों को मिल पाता है। इन गांवो के ग्रामीणों ये भी बताया कि गांवो में बने तालाब जो अभिलेखों में भी दर्ज है। कुछ लोगो ने उन्हें पाटकर उन पर भी अपने आशियाने बनाने से बाज नही आ रहे है। वही पशुआश्रय केंद्रों की सुरक्षित पड़ी जमीनों पर भी अवैध कब्जेदारी चरम पर है। इसी परिप्रेक्ष में कुछ माह पूर्व मोहन लाल गंज दौरे पर आए सीडीओ मनीष बंसल ने शेरपुर लवल में पैमाबे पर अवैध कब्जेदारी का मामला पकड़कर तहसील के अधिकारियों को सरकारी भूमि से अवैध कब्जेदारी कब्जा मुक्त कराने की हिदायत दी थी। वही सीडीओ के एक्शन में आये तहसील प्रशाशन ने करीब पचास बीघे भूमि खाली कराने का दावा भी कर डाला था। लेकिन समस्त कार्यवाही सिर्फ शेरपुर लवल तक ही सीमित होकर रह गयी। और आलम ये है कि पंचायत प्रतिनिधियों की शिकायतों को भी दरकिनार किया जा रहा है। वही मोहन लाल गंज में लगने वाली इन पंचायतों में बने खाद के गड्ढे भी लापता है। जिसके चलते पंचायते कूड़े कचरे का निस्तारण कराने के लिए स्थान तलाशती नजर आ रही है। मामले के निस्तारण के लिए ब्लाक के अधिकारियों ने भी तहसील को पत्र लिख रखा है लेकिन तहसील के जिम्मेदार अधिकारी उस पर भी गौर नही कर रहे है। और उनकी उदासीनता का खामियाजा ग्रामीणों को चुकाना पड़ रहा है। वही इन सब बातों से अलग भाजपा सरकार ने प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद अवैध कब्जेदारी को लेकर अपना एजेंडा साफ कर एण्टी भू माफिया अभियान चलाया था। और सरकार के गठन के बाद करीब दो वर्ष तक सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जेदारी को लेकर जमकर कार्यवाही भी हुई, लेकिन समीक्षा में नरमी बरते जाने से पिछले कई माह से सरकार का एण्टी भूमाफिया अभियान भी सुस्त पड़ा हुआ है। और आलम ये है कि तहसील और थाना दिवसों में आ रही शिकायतों को भी ठंठे बस्ते में डाल दिया जा रहा है। जिससे ग्रामीण जनता में अवैध सरकारी जमीनों पर कब्जेदारी को लेकर जिम्मेदारो की उदासीनता को लेकर खाशा रोष ब्याप्त है।