एक बात तो समझ आ गयी।
लाख खामियां हो बेटो में,
पर बदनाम सिर्फ बेटियां हैं।
बंजर जमीं सुमन से भर दे,
फिर भी इल्जाम सिर्फ बेटियां हैं।
हर पहलू एक सा नही,
शख्सियत एक सी नही,
फिर भी इंतकाम सिर्फ बेटियां हैं।
एक गलत तो सब गलत,
ऐसे भाव से सराबोर लोगों के,
मानसिक भुगतान सिर्फ बेटियां हैं।
इज्जत चाहे जितनी संभाले,
तन-मन चाहे जितना ढक ले,
फिर भी नर निशान सिर्फ बेटियां हैं।
युवा गौरव प्रस्तुति
नेहा यादव
लखनऊ, उत्तर प्रदेश