कविता :- सूर्य रश्मियां छा गयी
 



दिव्य प्राची के अधरों में ।
मृदु रक्तिमा आ गयी।।
आनंद के अद्भुत पल में।
सूर्य रश्मियां छा गयी।।

हर्ष हो समन्वय स्वर
ले शंख हो नाद कर।।
देवजन पुष्प बरसाये।
ऐसी सुखद घड़ी आयी।।

कर जोड़ करती वंदन।
शत शत तेरा अभिनंदन।।
समवेत स्वर अब गा उठे।
रामलला अब प्रकट भये।।

जन जन हर्षित हो रहा।
हो रही हैं दिव्य अनुभूति।।
पा कर अपने रामलला को।
हो प्रफुल्लित जन मानस।।

इस दिव्यता के पल में।
पग उनके सर रख कर।।
आंखों के सुखद आंसू।
दे आँचमन भावो का।।

भाव आज चहक उठे।
अहसास भी महक उठे।।
इस अनुपम प्रीत में कर।
दोनों पुष्प अर्पित करे।।

हो शंखनाद का पवित्र नाद।
जन जन झूमे गायेगा।।
आज इस अद्भुत पल में।
आनंद सर्वत्र छा जायेगा।

आस्था का अनुपम दर्शन।
साक्षी आंखे आज बनी।।
दिव्य दिवस की बेला में।
अद्भुत आस्था को नमन।।


 

 

 


युवा गौरव प्रस्तुति 

आकांक्षा द्विवेदी

बिंदकी फतेहपुर

उत्तर प्रदेश