अवैध कब्जा हटाने में प्रशासन नाकाम


युवा गौरव। श्रीनिवास सिंह मोनू


सरोजनीनगर, लखनऊ। नगर निगम विभाग की लापरवाही के कारण न्यायालय द्वारा जारी आदेश के बाद भी सरकारी तालाबों से अवैध कब्जे नहीं हट पा रहे हैं। यही नहीं न्यायालय के आदेश के बाद उसे संज्ञान में लेकर प्रदेश सरकार भी संबंधित अधिकारियों को ऐसे तालाबों से जल्द अवैध कब्जे हटाकर उन्हें खाली कराने का आदेश दे चुकी है। लेकिन फिर भी संबंधित अधिकारी इस पर दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि सरकारी तालाबों पर धीरे-धीरे अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। आलम यह है कि अकेले सरोजनीनगर इलाके में ही तमाम सरकारी तालाबों पर बड़े-बड़े मकान बन कर खड़े हो चुके हैं। इतना ही नहीं इस समय भी राजस्व अभिलेखों में दर्ज सरकारी तालाबों पर अवैध रूप से बिल्डिंगों का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। मजे की बात तो यह कि इन सरकारी तालाबों पर हो रहे अवैध निर्माण के बारे में शिकायत करने के बावजूद अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा। यही वजह है कि अवैध निर्माण के चलते यहां के शेष बचे सरकारी तालाब भी धीरे-धीरे सिमटते ही नहीं जा रहे, बल्कि उनका अस्तित्व ही खत्म होता जा रहा है। उदाहरण के लिए सरोजनीनगर प्रथम वार्ड का गहरु मोहल्ला ही काफी है। यहां राजस्व अभिलेखों में खसरा संख्या -781 पर दर्ज करीब साढ़े 6 बीघा तालाब की जमीन पर पिछले काफी दिनों से बिल्डिंगों का धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है। इसको लेकर गहरु निवासी अजय सिंह कई बार नगर निगम में शिकायत भी कर चुके हैं। अजय सिंह के मुताबिक गहरु में स्कूटर इंडिया चौराहा से पिपरसंड जाने वाली रोड के किनारे स्थित इस तालाब की जमीन पर अब तक करीब एक दर्जन मकान अवैध रूप से बनकर खड़े भी हो चुके हैं। इसके अलावा आधा दर्जन कांप्लेक्स भी बन चुके हैं। जबकि इस समय भी अवैध रूप से दो कांप्लेक्सों का निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। अजय सिंह की मानें तो इसको लेकर उन्होंने बीते जुलाई माह में स्थानीय पार्षद के अलावा सांसद कौशल किशोर के कवरिंग लेटर के साथ इसकी लिखित शिकायत नगर आयुक्त से की। लेकिन इसके बावजूद अब तक ना तो यह अवैध निर्माण गिराए जा सके और ना ही आरोपी लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। जिसके बाद अजय सिंह ने गुरुवार को इसकी लिखित शिकायत सरोजनीनगर एसडीएम से की है। एसडीएम को दिए गए शिकायती पत्र में अजय ने आरोप लगाया है कि यह अवैध निर्माण संबंधित लेखपाल की मिलीभगत से किया जा रहा है। उनका कहना है कि इन अवैध निर्माणों की वजह से करीब साढे़ 6 बीघा रकबा का यह तालाब अब सिमटकर मुश्किल से 3 बीघा ही शेष बचा है। फिलहाल अजय ने एसडीएम को दिए गए शिकायती पत्र में इसकी मौके पर जांच करा कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। सरकारी तालाब पर जारी अवैध कब्जा सिर्फ गहरु में ही नहीं, बल्कि सरोजनीनगर द्वितीय वार्ड के फर्रुखाबाद चिल्लावां में भी कई सरकारी तालाब कब्जा कर लिए गए हैं। बताते हैं कि यहां फर्रुखाबाद चिल्लावां की जमीन पर राजस्व अभिलेखों में 8 बड़े तालाब दर्ज हैं। लेकिन स्थिति यह है कि इनमें से मुश्किल से तीन- चार तालाब ही नजर आ रहे हैं। वह भी सिमटकर आधे से कम ही रह गए हैं। फर्रुखाबाद चिल्लावां की जमीन पर अवध विहार कॉलोनी में मौजूद तालाबों पर तो बड़ी -बड़ी बिल्डिंगें तक खड़ी हो चुकी हैं और लोग अपने घर बनाकर इत्मीनान से उसमें रह रहे हैं। लेकिन न्यायालय व सरकार के आदेश के बावजूद संबंधित अधिकारी इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे हैं बल्कि इसे नजर अंदाज किए हुए हैं।