पाप और पुण्य की कौन सोचता है यहाँ।

भगवान से भी भला कौन डरता है यहाँ।।
ख़ौफ़ नहीं रहा लोगों को किसी रिश्ते का।
अब सीता और राम कौन बनता है यहाँ।।
फटी चादर अभावों की सिल रहे हैं लोग।
फ़टे कपड़ों में पैबन्द लगाता कौन है यहाँ।।
बेईमानी खून में बस गई लोगों के लगता है।
ईमान के वास्ते भला जान कौन देता है यहाँ।।
मन्दिरों मस्जिदों को बनाने की होड़ लगी है।
आज इंसानियत भला कौन सिखाता है यहाँ।।
प्रस्तुति :- युवा गौरव न्यूज़
कवि :- राजेश पुरोहित
भवानीमंडी, राजस्थान