गृह जनपद से दूर फिर भी कर रहे हैं "भूखे की रसोई" के लिए मदद

 


युवा गौरव संवाददाता

कानपुर/ कोरोना के कहर से जहां एक और पूरा भारत त्राहिमाम कर रहा है। वहीं दूसरी ओर कई समाजसेवी संगठन व समाज सेवक सामूहिक रूप से क्षेत्रीय जनमानस की मदद से भूखे व जरूरतमंदों तक मदद पहुंचा रहे हैं।

कोरोना जैसी त्रासदी लॉक डाउन के दौरान जहां एक ओर सारी दुकाने बंद है। हालांकि प्रशासन द्वारा  तय सीमा सीमा पर  दुकाने खोलने को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।  लेकिन  रोजमर्रा  से अर्जित धन द्वारा  अपना पेट पालने वाले लोगों को रोजी रोजगार की दिक्कत है जिससे समाज का एक तबका पूरी तरह से टूट सा गया है। ऐसे जरूरतमंदों की मदद के लिए समाज सेवकों व समाजसेवी संगठनों ने कमान संभाल ली है जो क्षेत्रीय प्रबुद्ध लोगों के सहयोग से भोजन बनाकर उनको जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं।

 पनकी रतनपुर क्षेत्र में जरूरत मन्द तक भोजन बनाकर पहुंचाने की "भूखे की रसोई" संचालित है।

पनकी रतनपुर कॉलोनी सहित आसपास के क्षेत्रों में भोजन की व्यवस्था प्रबुद्ध लोगों द्वारा की जा रही है यही नहीं भूखे की रसोई में गृह जनपद से दूर रह रहे व्यक्तियों द्वारा भी मदद की गई है जिसमें उड़ीसा में रह रहे संतोष सिंह विशेन द्वारा खाद्य सामग्री हेतु ई पेमेंट के माध्यम

 जरूरतमंदों की मदद की गई। वहीं फोन के माध्यम से बताया गया कि आवश्यकता अनुसार मदद करते रहेंगे।

भूखे की रसोई में किसी एक व्यक्ति का नाम लेना शायद प्रबुद्ध जनों का अपमान होगा रसोई में क्षेत्रीय लोगों सहित दूर-दूर के लोग भी मदद कर रहे हैं।

नाम ना छापने की शर्त पर संचालक द्वारा बताया गया कि भूखे की रसोई नाम से संचालित यह रसोईं किसी एक व्यक्ति की नहीं है यह समस्त पनकी निवासियों की है। यदि आवश्यकता पड़ती है तो इसका और विस्तार किया जा सकता है। साथ ही यह भी बताया गया रसोई के माध्यम से लॉक डाउन के समस्त दिनों तक इसकी व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहेगी और जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाया जाता रहेगा। साथ ही प्रबुद्व वर्ग ने बताया वितरण के दौरान असहायों व जरूरतमंदों की फोटो नही खींची जाएगी।

साथ ही यह भी बताया गया रसोई में कार्यरत कारीगर ने एक भी पैसा मानदेय स्वरूप नहीं लिया वे तन व मन से अपने कार्य को सुचारू रूप से कर रहे हैं।