कानपुर सरसैया घाट पर गंगामेला में ये हुआ किसी ने नही देखा

https://youtu.be/ZC7LNTvT_Wc


लिंक पर क्लिक कर देखें विडियो


युवा गौरव संवाददाता


कानपुर


नमस्कार मैं सुनील चतुर्वेदी हाजिर हूं एक ऐसी खबर प्रकाश डालने के लिए जो शायद जानते सब हैं या जानना कोई नहीं चाहता जी हां हम बात कर रहे हैं होली के सातवे दिन बाद मनाया जाने वाला कानपुर का ऐतिहासिक गंगा मेला की, कनपुरिया गंगामेला पिछले कई दशकों से प्रचलित है। 



गंगा मेला के पीछे स्वतंत्रता आंदोलन की कहानी है लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि यह परंपरा पहले से थी। इसके विषय में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं, हालांकि शहर में गंगा मेला पर होली खेलने की सन् 1942 की गुलाब चंद्र सेठ से जुड़ी कहानी अधिक चर्चित है कहते हैं गुलाब चंद्र सेठ एक बड़े होली महोत्सव का आयोजन करते थे जिसको उस समय के अंग्रेज अधिकारी ने रोकना चाहा जिसका विरोध गुलाब चंद्र सेठ व उनके साथियों ने की जिसके फलस्वरूप अंग्रेज अधिकारी द्वारा इन को साथियों सहित गिरफ्तार करके सरसैया घाट कारागार में डाल दिया गया। क्षेत्रीय लोगों के विरोध की वजह से अंग्रेज अधिकारियों को गुलाब चंद्र सेठ व अन्य साथियों को छोड़ना पड़ा इत्तेफाक से जिस दिन इन लोगों को छोड़ा गया उस दिन अनुराधा नक्षत्र था। उसी दिन हटिया के लोगों के द्वारा हर्ष और उल्लास से सराबोर रंग खेला गया उस दिन से गंगा मेला का महत्व और बढ़ गया हालांकि गंगा मेला का पुराना किस्सा भी चर्चित है। अब बात कर रहे हैं वर्तमान वर्ष में आयोजित हुए गंगा मेला की इस बार गंगा मेला में बहुत बड़ी-बड़ी हस्तियां आई लेकिन किसी ने भी वर्तमान स्थिति में बह रही गंगा पर कोई टिप्पणी नहीं की वहीं दूसरी ओर गंगा की स्थिति सबको बदतर नजर आ रही थी जब गंगा में पानी की जगह सिर्फ काई तैर रही थी। सभी नामचीन हस्तियां फोटो खिंचवाने का काम कर रही थी जहां एक ओर  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वक्ष व निर्मल गंगा का सपना संजो रखा है वहीं उन्हीं के सांसद देवेंद्र सिंह भोले की भी उपस्थिति गंगामेला में रही लेकिन उन्होंने भी सिर्फ फोटो खिंचवाना ही उचित समझा ताकि अखबारों की सुर्खियां बन सके।

अब बात करते हैं शहर में सफाई के बड़े बड़े वादे कर रहे हैं व आए दिन सफाई नायकों की फोटो डालकर वाहवाही लूट रहे हैं नगर निगम विभाग की हालांकि सफाई नायक तो अपना काम बखूबी निभा रहे क्योंकि वह भी अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों का अनुपालन करते हैं। नगर निगम विभाग द्वारा अपने स्टाल को तो सजा संवार कर रखा वहीं दूसरी ओर गंगा को साफ करने की कवायद नहीं शुरू की सीधे तौर से कह सकते हैं कि नगर निगम द्वारा कोई भी तैयारी गंगा मेला को लेकर के सुनिश्चित नहीं की गई थी।  गंगा मेला पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के स्टाल व अन्य राजनैतिक पार्टियों के 

स्टाल भी लगे थे लेकिन अफसोस किसी ने भी गंगा की बात नहीं की सिर्फ अपने अपने ब्रांड को चमकाने के प्रयास में नामचीनों के साथ फोटो खिंचवाने में व्यस्त थे। वहीं दूसरी ओर कानपुर के स्टार अन्नू अवस्थी जो अपनी भाषा शैली का इस्तेमााल करते हुए शहर में विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डालते व शहर वासियों को गुदगुदाते

हैं लेकिन अफसोस गंगा मेला वाले दिन उनको गंगा की दयनीय स्थिति नहीं दिखी। वहीं गाय गंगा गरीब पर अपनी विशेष मुहिम के चलते चर्चा में आए पंडित रामजी त्रिपाठी गंगा बचाने का दंभ भरते हैं लेकिन अफसोस उनके स्टाल पर भी सिर्फ फोटो खिंचवाने वालों का ताता लगा था गंगा पर बात करने वाला कोई नहीं था। सिद्धनाथ घाट के महंत अरुण पुरी सहित कई संतों ने पिछले वर्ष 25000 लीटर दूध से गंगा का अभिषेक किया था लेकिन अफसोस उनको भी गंगा की स्थिति नही दिखी। मेयर साहिबा के भी क्या कहने वह भी सिर्फ गंगा मेला पर विभिन्न स्टालों पर जाकर सिर्फ फोटो खिंचवा रही थी। विधायक सोहेल अंसारी विधायक अमिताभ बाजपेई, विधायक सुरेन्द्र मैथानी, सहित न जाने कितने नेता वह सामाजिक संगठन व संतो ने गंगा मेला पर शिरकत की लेकिन दुख का विषय है किसी ने भी गंगा की दयनीय स्थिति पर चर्चा नहीं की हद तो तब हो गई जब काई में लिपटी हुई गंगा की आरती उतारी जा रही थी लेकिन शायद सरसैया घाट के प्रशासन को भी यह दृश्य नजर नहीं आया। ऐसे ना जाने कितने सामाजिक संगठन व अधिकारीयो ने गंगामेला में शिरकत की लेकिन किसी ने भी गंगा की दयनीय स्थिति पर चर्चा नही की वो भी तब जब अरबो रुपये गंगा सफाई पर खर्च हो रहे हैं। वहीं इन सब से विरत एक ऐसा शख्स जो बीते कई दिनों से समस्याओं को उजागर करने को लेकर प्रयासरत हैं। उनका नाम है अतुल तिवारी (आक्रोश) जो लगातार समस्या पर प्रकाश डाल रहे हैं।