शिक्षा के मंदिर क्षेत्र में हुक्काबार बना रहे युवाओं को नशेड़ी कानपुर शहर प्रशासन युवाओं को बचाएं
 

युवा गौरव सुनील चतुर्वेदी

 

कानपुर शहर में युवाओं को नशे में लिप्त करने की मुहिम चल रही है। जहां एक ओर सरकार खेल व योग से जोड़कर युवाओं को चुस्त-दुरुस्त और निरोग रखना चाहती है। वही हुक्का बार जैसे प्लेटफॉर्म द्वारा युवाओं को नशेड़ी बनाया जा रहा है।


हुक्का बार रेस्टोरेंट्स की आड़ में चलाए जाते हैं अब तो ऑनलाइन कैफे के नाम का सहारा लेकर के भी हुक्का बार चल रहे हैं। ताजा मामला सामने आया काकादेव के कोचिंग मंडी का जहां पर ऑनलाइन कैफे के नाम से हुक्का बार संचालित है। सूत्रों का मानना है या हुक्का बार वरुण तिवारी नाम के शख्स द्वारा चलाया जा रहा है। जिसको पुलिस का संरक्षण भी प्राप्त है इस वजह से यह निर्भीकता से हुक्का बार का संचालन कर रहा है।जानकारों का मानना है शहर में संचालित कुछ हुक्काबार सफेदपोशों की दम पर भी फल-फूल रहे हैं। संचालित हुक्का बार से कुछ ही दूरी पर है पांडु नगर पुलिस चौकी


  

जानकारों की माने तो कई हुक्का बारों में केबिन बनाकर लड़के-लड़कियों को अश्लीलता करने का पूरा मौका दिया जा रहा है। 

हुक्का के लती युवा धीरे धीरे शहर को उड़ता पंजाब film  में तब्दील कर रहे हैं।



क्या होता है 'हुक्का सेशन’


अगर किसी युवाओं से पूछा जाए कि क्या हुक्का सेहत के लिए हानिकारक होता है? तो वह अक्सर जवाब देते हैं कि नहीं। यह सेहत के लिए बिल्कुल नुकसानदायक नहीं होता। यह तो केवल फ्लेवर्ड होता है। जबकि, सच कुछ और ही है…


हुक्का पीना सिगरेट पीने की तरह ही स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है, कई बार तो सिगरेट से भी खतरनाक होता है।


अक्सर एक हुक्का सेशन 30-80 मिनट तक चलता है, जोकि 100 सिगरेट पीने के बराबर होता है। हुक्का और सिगरेट दोनों के सेवन से अंत में कार्सिनोजन निकलता है। वहीं, यह भी अवधारणा है कि सिगरेट की तरह हुक्का पीने की लत नहीं लगती। जबकि हुक्के में भी सिगरेट की तरह निकोटीन मौजूद होता है, जो लोगों को अपना लती बना लेता है। हुक्का दो भागों में बँटा होता है. ऊपर वाला भाग तम्बाकू और फ्लेवर को जलाता है तो नीचे वाला भाग पानी के जरिए उसके धुएं को फ़िल्टर करता है, ताकि फ्लेवर फ्लो में आए। हुक्का पीने के लिए गहरी सांस लेनी पड़ती है जिसके कारण हुक्के का धुआं फेफड़ों के काफी भीतर तक चला जाता है।


फ्रूट फ्लेवर के नाम पर युवा बनते हैं बेवकूफ दूर तक भी नही है फलों से रिश्ता हुक्के का यकीन ना हो तो पढ़ो इसको


आजकल हुक्के का स्वाद बढ़ाने के लिए सेब, कॉफी, स्ट्राबैरी, अंगूर, चॉकलेट और चैरी जैसे बहुत से फ्लेवर आते हैं। चूंकि, नाम ही फलों पर होते हैं, तो इसका सीधा संदेश जाता है कि यह हानिकारक नहीं है। ऐसे में कम उम्र के बच्चे इस कारण इसकी ओर आकर्षित होते हैं और इसके लती हो जाते हैं। उन्हें क्या पता जिस ‘फ्रूट फ्लेवर’ के वह दीवाने होते हैं, उसके नाम का गलत इस्तेमाल हो रहा है। असल में फ्लेवर्ड हुक्के में सिर्फ स्वाद के लिए फ्रूट का कृत्रिम रस मिलाया जाता है। उसका असली फ्रूट्स से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता। चूंकि, यह रस ढ़ेर सारे रसायनों से बना होता है, इसलिए  इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ना तय ही होता है। अब समझे आप क्या फ्लेवर का गणित।


हुक्का पीते हैं तो ये भी पढ़ें ये हैं खतरनाक नुकसान


1-पैसिव स्मोकर्स हुक्का पीने वालों के साथ बैठने वालों को भी नुकसान।
2-ज्यादा कार्बन मोनो ऑक्साइड

3-ब्रॉन्कियल अस्थमा हुक्का पीने वालों को सबसे ज्यादा खतरा होता है।
4-इन्फेक्शन : कई लोग एक ही हुक्के को मुंह लगाते हैं। इन्फेक्शन हो सकता है।
5-पेरियोडोंटल डिसीज ब्लड प्लाज्मा, लार,यूरिन में कॉन्टिनिन की मात्रा बढ़ जाती है।
6-निकोटीन एडिक्शन सिगरेट-बीड़ी की तरह हुक्का भी लत बन जाता है।
7-दिल की बीमारियां कोलेस्ट्रॉल बढ़ता। धमनियां चोक होने से अटैक का खतरा।
8-कैंसर हुक्का फ्लेवर्स में ऐसे पदार्थ होते हैं जो फेफड़े, मुंह के कैंसर कारक हैं।


और भी हुक्काबार की खोली जाएगी पोल बने रहे हमारे साथ