चूडियां - सौभाग्य स्वास्थ्य और विज्ञान
चुड़ियाँ

 

भारतीय आभूषण परंपरा के अनुसार सोलह श्रृंगार में चूड़ियां का स्थान प्रमुख सुहाग आभूषणों में से एक है बात श्रृगांर की हो रही हो और जिक्र चूड़ियों का न हो तो कुछ अधूरा सा लगता है. व्रत हो या कोई त्योहार महिलाओं का श्रृगांर तब तक पूरा नहीं होता जब तक उनके हाथों में लाल-हरी चूड़ियां न सजी हो वैदिक काल से महिलाएँ अपने हाथों में चूड़ियाँ पहनती रही हैं। कांच,सोना, चांदी, रत्नजड़ित, लाख, सीप आदि की चूड़ियां पारंपरिक रूप से सभी स्त्रियां पहनती है चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित.चूड़ियाँ महिलाओं के सौंदर्य और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं.चूड़ियाँ केवल सौन्दर्य ही नहीं बढ़ातीं हैं,बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक दशा को भी ठीक रखती हैं.

 

चूड़ियां पहने के धार्मिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक महत्व 

 

चूड़ियों के रंग भी महिलाओं के स्वास्थ्य और उसके वैवाहिक जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं। लोकप्रचलित मान्यता के अनुसार नवविवाहित स्त्रियों को हरे एवं लाल रंग की कांच की चूड़ियाँ पहनने के लिए कहा जाता है, क्योंकि हरा रंग प्रकृति देवी का है।जिस प्रकार एक वृक्ष अपनी छाया से लोगों को खुशहाली प्रदान करता है, उसी प्रकार हरे रंग की चूड़ियाँ उनके दाम्पत्य जीवन में खुशहाली लाती हैं। इसी प्रकार लाल रंग उस महिला को आदि शक्ति से जोड़ता है। लाल रंग प्रेम का भी प्रतीक है, अतः लाल रंग की चूड़ियाँ पहनने से दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि होती है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कांच की चूड़ियाँ सात्विक होती हैं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से का मानना है कि कांच की चूड़ियों की ध्वनि से वातावरण में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।चूड़ियों की खनखनाहट घर के वातावरण से नकारात्मकता को हटाकर वहाँ सकारात्मक ऊर्जा का वास कराती है. आप इसे मंदिर की घंटी की तरह देख सकते हो. जैसे मंदीर की घंटी मदिर में ऊर्जा का संचार करती है और वही कार्य चूड़ियाँ घर में करती है जिसकी मधुर आवाज घर की एकता को भी बनाये रखती है. आयुर्वेद के अनुसार सोने और चाँदी की चूड़ियां आयु और  बलवर्धक होती है। सोने और चाँदी की चूड़ियाँ पहनने से जब ये शरीर के साथ घर्षण करती हैं, तो इनसे शरीर को इन धातुओं के शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते हैं। विज्ञान कहता है के चूड़ियां सोने,चांदी, कांच, सीप और लाख अर्थात प्राकृतिक पदार्थो की ही पहनी चाहिये.कलाई से 6 इंच तक में एक्यूपंचर पॉइंट्स होते है, उनपर समान दबाब पड़ता है  जिसे शरीर स्वस्थ, चुस्त ,और ऊर्जावान बने रहता है

 


प्रस्तुति 

डॉ रचनासिंह "रश्मि" आगरा