कविता : तिरंगा कश्मीर

तिरंगा कश्मीर


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कश्मीर तो हमारा ही था


किसे दम है जो ले पायेंगे


झण्डा वहां फहरा कर


जन-गण-मन अब गाएंगे


वन्दे मातरम के नारे होंगे


लोगों को गले लगाएंगे


नव भारत अब और भी 


विकसित होगा,


जम्मू-कश्मीर के नाम से


कोई खौफ़ नहीं होगा,


खून बहा करती है वहां


अमन चैन फिर लायेंगे


भारतवासीयों से ही होगा


आत्मविश्वास में कदम बढ़ायेंगे


जम्मू से कन्याकुमारी तक


तिरंगे की पतंग उड़ायेंगे


कश्मीर तो हमारा ही था


किसे दम है जो ले पायेंगे।


 



प्रस्तुति


तान्या सिंह


गोपलापुर गोरखपुर