ब्रह्मादीन मिश्रा की 3 वर्ष की खुशी ने हॉस्पीटल की निर्दयता से तड़प तड़प कर तोड़ा दम

 ब्रह्मादीन मिश्रा की 3 वर्ष की खुशी ने हॉस्पीटल की निर्दयता से तड़प तड़प कर तोड़ा दम


युवा गौरव/ सुनील चतुर्वेदी




प्रयागराज/ क्या कोई इंसान सिर्फ पैसे के लिए जानवर बन सकता है क्या उस इंसान रुपी जानवर में जानवरों जैसा दिल भी नहीं है। हम लोग सोशल मीडिया पर भी कई सारे वीडियोज देखते हैं जिसमें एक जानवर का दूसरे जानवरों के प्रति सद्भाव दिखाई देता है।

      लेकिन प्रयागराज के  मेडिसिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इस परिभाषा को तो बदल ही दिया साथ ही  जानवरों की कार्यशैली से भी नीचे गिरते हुए एक 3 साल की बच्ची के साथ हैवानियत का ऐसा खेल खेला इस बच्ची ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। आइए चलें पूरी घटना की ओर इलाहाबाद के रहने वाले ब्रह्मादीन मिश्रा अपनी 3 वर्ष की बच्ची खुशी को पेट दर्द की शिकायत होने पर मेडिसिटी हॉस्पिटल ले गए जहां पर डॉक्टरों ने 5 लाख रुपए की डिमांड की, येन केन प्रकारेण ब्रह्मादीन मिश्रा ने लगभग दो लाख रुपए खेत बेचकर जमा कर दिया

लेकिन बचे हुए बाकी रुपए ना दे पाने की स्थिति में डॉक्टरों ने हैवानियत का ऐसा गन्दा खेल खेला की  हैवानियत को भी शर्म आ गई। मेडिसिटी हॉस्पीटल के डॉक्टरों ने बच्ची का पेट फटा हुआ बिना टांके लगाए ही अस्पताल से बाहर का रास्ता दिखा दिया।  दोबारा बच्ची को सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों ने बच्ची के ना बचने की बात बताई।  जब दोबारा ब्रह्मा दीन मिश्रा बच्ची को मेडिसिटी हॉस्पिटल ले गए तो इनको अस्पताल के अंदर घुसने ही नहीं दिया गया और इसका परिणाम यह हुआ
फूल जैसी बच्ची ने दर्द से कराह कराह कर अपने प्राण त्याग दिए।
      

  मेडिसिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने अपने ही प्रोफेशन के अन्य डॉक्टरों का नाम भी पैसे की लालच में मटियामेट कर दिया।
   वहीं इलाहाबाद के अभिनव पांडे द्वारा घटना का पूरा विवरण ट्विटर के माध्यम से आला अधिकारियों को ट्वीट किया गया। ट्वीट वायरल होते ही हरकत में आए जिलाधिकारी ने तत्काल घटना की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई हेतु ऑफिशियल पत्र जारी किया।

 बच्ची तो चली गई लेकिन प्रदेश व देश में न जाने कितने ऐसे हॉस्पिटल हैं जो मेडिसिटी हॉस्पिटल से भी बढ़कर कारनामे करते हैं। मेडिसिटी हॉस्पिटल को तो सिर्फ उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं लेकिन ऐसी निर्दयता और हैवानियत प्रदेश व देश के लगभग कई अस्पतालों में देखे जा सकते हैं जरूरत है तो केंद्र सरकार व देश के विभिन्न प्रदेश सरकारों को ऐसे अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।